
🔴 कबीरदास का एक बहुत ही प्रसिद्ध दोहा है-
काल करे सो आज कर, आज करै सो अब।
यानी
जो काम कल करना है, उसे आज ही कर लेना चाहिए और जो काम आज करना है, उसे
अभी कर लेना चाहिए। इसका सीधा सा अर्थ ये है कि किसी भी काम को करने में
देर नहीं करना चाहिए। ये बात सभी कामों के लिए सही नहीं है। स्त्री और
पुरुष, दोनों के लिए कुछ काम ऐसे भी हैं, जिनमें देर करना अच्छी बात है।
🔵 महाभारत के एक श्लोक में बताया है कि हमें किन कामों को टालने की कोशिश करनी चाहिए…
रागे दर्पे च माने च द्रोहे पापे च कर्मणि।
अप्रिये चैव कर्तव्ये चिरकारी प्रशस्यते।।
ये श्लोक महाभारत के शांति पर्व में दिया गया है। इसमें 5 काम ऐसे बताए गए हैं, जिनमें देर करने पर हम कई परेशानियों से बच सकते हैं।
🔴 1 पहला काम है राग
इन
पांच कामों में पहला काम है राग यानी अत्यधिक मोह, अत्यधिक जोश, अत्यधिक
वासना। राग एक बुराई है। इससे बचना चाहिए। जब भी मन में राग भाव जागे तो
कुछ समय के लिए शांत हो जाना चाहिए। अधिक जोश में किया गया काम बिगड़ भी
सकता है। वासना को काबू न किया जाए तो इसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं। किसी
के प्रति मोह बढ़ाने में भी कुछ समय रुक जाना चाहिए। राग भाव जागने पर कुछ
देर रुकेंगे तो ये विचार शांत हो सकते हैं और हम बुराई से बच जाएंगे।
🔵 2 दूसरा काम है घमंड
दर्प
यानी घमंड ऐसी बुराई है जो व्यक्ति को बर्बाद कर सकती है। घमंड के कारण ही
रावण और दुर्योधन का अंत हुआ था। घमंड का भाव मन में आते ही एकदम
प्रदर्शित नहीं करना चाहिए। कुछ देर रुक जाएं। ऐसा करने पर हो सकता है कि
आपके मन से घमंड का भाव ही खत्म हो जाए और आप इस बुराई से बच जाएं।
🔴 3 तीसरा काम है लड़ाई करना
यदि
कोई ताकतवर इंसान किसी कमजोर से भी लड़ाई करेगा तो कुछ नुकसान तो ताकतवर
को भी होता है। लड़ाई करने से पहले थोड़ी देर रुक जाना चाहिए। ऐसा करने पर
भविष्य में होने वाली कई परेशानियों से हम बच सकते हैं। आपसी रिश्तों में
वाद-विवाद होते रहते हैं, लेकिन झगड़े की स्थिति आ जाए तो कुछ देर शांत हो
जाना चाहिए। झगड़ा भी शांत हो जाएगा।
🔵 4 चौथा काम है पाप करना
यदि
मन में कोई गलत काम यानी पाप करने के लिए विचार बन रहे हैं तो ये परेशानी
की बात है। गलत काम जैसे चोरी करना, स्त्रियों का अपमान करना, धर्म के
विरुद्ध काम करना आदि। ये काम करने से पहले थोड़ी देर रुक जाएंगे तो मन से
गलत काम करने के विचार खत्म हो सकते हैं। पाप कर्म से व्यक्ति का सुख और
पुण्य नष्ट हो जाता है।
🔴 5 पांचवां काम है दूसरों को नुकसान पहुंचाना
यदि
हम किसी का नुकसान करने की योजना बना रहे हैं तो इस योजना पर काम करने से
पहले कुछ देर रुक जाना चाहिए। इस काम में जितनी देर करेंगे, उतना अच्छा
रहेगा। किसी को नुकसान पहुंचाना अधर्म है और इससे बचना चाहिए। पुरानी कहावत
है जो लोग दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं, एक दिन वे ही उस गड्ढे में
गिरते हैं। इसीलिए दूसरों का अहित करने से पहले कुछ देर रुक जाना चाहिए।

🔴 एकाग्रता सिद्ध करने का सबसे अच्छा
उपाय यह है कि अपने मन को संसार की ऐसी बातों से दूर रखा जाए जिनसे बेकार
की उलझनें और समस्याएँ पैदा हों। उसे केवल ऐसी बातों और विचारों तक ही
सीमित रखा जाए जिनसे अपने निश्चित लक्ष्य का सीधा संबंध हो। प्रायः लोगों
का स्वभाव होता है कि वे घर, परिवार, मुहल्ले, समाज, देश, राष्ट्र आदि की
उन बातों में अपने को व्यस्त बनाए रखते हैं जिनसे उनके मुख्य प्रयोजन का
कोई सरोकार नहीं होता। इस स्वभाव का जन्म निरर्थक उत्सुकता द्वारा ही होता
है।
🔵 प्रेम की उपलब्धि परमात्मा की उपलब्धि मानी गई है। प्रेम
परमात्मा का भावनात्मक स्वरूप है जिसे अपने अंतर में सहज ही अनुभव किया जा
सकता है। प्रेम प्राप्ति परमात्मा प्राप्ति का सबसे सरल मार्ग है।
परमात्मा को पाने के अन्य सभी साधन कठिन, दुःसाध्य तथा दुरूह हैं। एक मात्र
प्रेम ही ऐसा साधन है जिसमें कठोरता अथवा दुःसाध्यता के स्थान पर सरसता,
सरलता और सुख का समावेश होता है।
🔴 अपने आपको सुधारने का प्रयत्न
करना, अपने दृष्टिकोण में गहराई तक समाई हुई भ्रान्तियों का निराकरण करना
मानव जीवन का सबसे बड़ा पुरुषार्थ है। हमें यह न केवल करना ही चाहिए, वरन्
सबसे पहले अधिक इसी पर ध्यान देना चाहिए। अपना सुधार करके न केवल हम अपनी
सुख-शान्ति को चिरस्थायी बनाते हैं, वरन् एक प्रकाश स्तम्भ बनकर दूसरों के
लिए भी अनुकरणीय उदाहरण उपस्थित करते हैं।
🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य