Hindi FM

    Tuesday, April 11, 2017

    Gainsari Vidhan Sabha

    This VidhanSabha is located in Distt.Balrampur & Constituency Shrawasti.In 2017 our newly elected
    MLA Shree Shailesh Kumar Singh"Shailu"is very young & energetic.We hope that they work for development for this Area who is very illlitrate and poor.

    BALRAMPUR

             BALRAMPUR is newly form district in UP(INDIA).It is situated on the bank of river Rapti.
             It is famous for ShaktiPeeth Maa DeviPatan Temple.

    5 Kundeeya Mahayagya in BishunPur Vishram

    बिशुनपुर विश्राम थारू विकास परियोजना मे चल रहे 2-1/2 दिवसीय पांच कुंडीय गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिन का आरम्भ प्रातजागरण से हुआ.
    हजारो की संख्या मे जनजातियो के बीच हमारे युवा विधायक श्री शैलेश कुमार सिंह ने आकर देव पूजन मे भाग लिया. पांच कुंडीय गायत्री महायज्ञ सम्पन्न करने के शांतिकुंज प्रतिनिधि श्री सत्यप्रकाश शुक्ला जी(टोली नायक),संगीतज्ञ श्री कैलाश् नाथ पांडे जी तबला वादक श्री राम भारती जी तथा कर्मकांड सहयोगी श्री कृष्ण कुमार पांडे जी की उपस्थिति प्राथनीय रही.

    Kadwa Sach

    🖖🏻✌🏻🤘🏻
    *कड़वा सच है, जरा ध्यान दें :-*
    एक *नौजवान* ने अपने *दादा* से पूछा कि.... "दादा जी आप लोग पहले कैसे रहते थे ?
    न कोई टेक्नोलॉजी , न जहाज, न कंप्यूटर, न गाड़ियां, न मोबाइल ।"

    दादाजी ने जवाब दिया कि.. "जैसे तुम लोग आजकल रहते हो....
    *न पूजा, न पाठ, न दया, न धरम, न लज्जा, न शरम*"।।

    Tuesday, October 4, 2016

    सेवा और प्रार्थना

    👉 सेवा और प्रार्थना

    👉 सेवा और प्रार्थना

    🔴 तुम मुझे प्रभु कहते हो, गुरु कहते हो, उत्तम कहते हो, मेरी सेवा करना चाहते हो और मेरे लिए सब कुछ बलिदान कर देने को तैयार रहते हो। किन्तु मैं तुम से फिर कहता हूँ, तुम मेरे लिये न तो कुछ करते हो और न करना चाहते हो।

    🔵 तुम जो कुछ करना चाहते हो मेरे लिये करना चाहते हो जबकि मैं चाहता हूँ तुम औरों के लिये ही सब कुछ करो। औरों के लिये कुछ न करने पर तुम मेरे लिये कुछ न कर सकोगे। मैं तुमसे सच कहता हूँ कि यदि तुमने इन छोटों के लिये कुछ न किया तो मेरे लिये भी कुछ न किया।

    🔴 मैं फिर कहता हूँ कि मुझे प्रसन्न करने का प्रयत्न मत करो, मेरी प्रसन्नता तो इन छोटे और गरीब आदमियों की प्रसन्नता है। मुझे प्रसन्न करने के स्थान पर इनको प्रसन्न करो, मेरी सेवा की जगह इनकी सेवा और सहायता करो।

    🔵 तुम सब प्रार्थना करते हो। लेकिन मैं सच कहता हूँ, तुम प्रार्थना नहीं करते। अगर तुम प्रार्थना करते हो तो मुझे ठीक-ठीक बतलाओ, क्या तुम लोग प्रार्थना में खड़े हुए संसार को भूल जाते हो। तुम्हारे मन को सारा द्वन्द्व नष्ट हो जाता है और तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम्हारा कोई शत्रु नहीं है और न तुम ही किसी के शत्रु हो।

    🔴 यदि ऐसा नहीं होता तो तुम प्रार्थना नहीं करते। तुम्हारी प्रार्थना में खड़ा होना ठीक वैसा ही है जैसे ग्वाले के डंडे से घिरी हुई भेड़े बाड़े में खड़ी हो जाती हैं।

    🔵 मैं तुमसे सच कहता हूँ यदि पिता में विश्वास रखकर प्रार्थना की जाये तो मनुष्य को संसार की बुराइयों का स्मरण ही न आवे। यदि तुझमें राई के दाने भर भी सच्चा विश्वास हो तो तुम इस पहाड़ से अधिकारपूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर सरक जाने के लिये कह सकते हो और वह सरक कर चला भी जाये।

    -रामकृष्ण परमहंस
    अखण्ड ज्योति Feb 1969 पृष्ठ 3
    http://literature.awgp.org/magazine/AkhandjyotiHindi/1969/February.3


    Ashwin Navratri 2016 Day-04 Geeta 4/37
    Discourse By Shraddheya Dr. Pranav Pandya @ Dsvv  | 04 Oct. 2016
    अध्याय 4 का श्लोक 37

    यथैधांसि समिद्धोऽग्निर्भस्मसात्कुरुतेऽर्जुन ।
    ज्ञानाग्निः सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरुते तथा ॥ (4/37)
    यदि तू अन्य सभी पापियों से भी अधिक पाप करने वाला है; तो भी तू मेरे ज्ञानरूप नौका द्वारा निःसंदेह सम्पूर्ण पाप-समुद्र से भलीभाँति तर जाएगा॥4/36
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    Monday, October 3, 2016

    Aatmchintan ke Kshan

    👉 आत्मचिंतन के क्षण Aatmchintan Ke Kshan 3 Oct 2016

    🔴 दूसरों की अच्छाइयों को खोजने, उनको देख-देखकर प्रसन्न होने और उनकी सराहना करने का स्वभाव यदि अपने अंदर विकसित कर लिया जाये तो आज दोष दर्शन के कारण जो संसार, जो वस्तु और जो व्यक्ति हमें काँटे की तरह चुभते हैं वे फूल की तरह प्यारे लगने लगें। जिस दिन यह दुनिया हमें प्यारी लगने लगेगी, इसमें दोष-दुर्गुण कम दिखाई देंगे, उस दिन हमारे हृदय से द्वेष एवं घृणा का भाव निकल जायेगा और हम हर दिशा और हर वातावरण में प्रसन्न रहने लगेंगे। दुःख-क्लेश और क्षोभ-रोष का कोई कारण ही शेष न रह जाएगा।

    🔵 अपने व्यक्तित्व को सीमित करने का नाम स्वार्थ और विकसित करने का नाम परमार्थ है। सीमित प्राण दुर्बल होता है, पर जैसे-जैसे उसका अहम् विस्तृत होता जाता है, वैसे ही आंतरिक बलिष्ठता बढ़ती चली जाती है। प्राण शक्ति का विस्तार सुख-दुःख की अपनी छोटी परिधि में केन्द्रित कर लेने से रूक जाता है, पर यदि उसे असीम बनाया जाय और स्वार्थ को परमार्थ में परिणत कर दिया जाय तो इसका प्रभाव यश, सम्मान, सहयोग के रूप में बाहर से तो मिलता ही है, भीतर की स्थिति भी द्रुत गति से परिष्कृत होती है।

    🔴 हम जितने ही कुशल विचार शिल्पी होंगे, हमारी आत्मा का निर्माण उतना ही सुन्दर और स्थायी होगा। अपनी आत्मा का साक्षात्कार भी हम विचारों के द्वारा ही कर सकते हैं। विचारों के आदर्श में ही आत्मा का रूप प्रतिबिम्बित होता है और विचार चक्षुओं से ही उसके दर्शन किये जा सकते हैं। विचार जितने उज्ज्वल और पवित्र होंगे, आत्मा का प्रतिबिम्ब उतना ही स्वच्छ और स्पष्ट दृष्टिगोचर होगा।

    🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

    5 kamo me Der mat Karo

    👉 इन 5 कामों में देर करना अच्छी बात है


    🔴 कबीरदास का एक बहुत ही प्रसिद्ध दोहा है-

    काल करे सो आज कर, आज करै सो अब।

    यानी जो काम कल करना है, उसे आज ही कर लेना चाहिए और जो काम आज करना है, उसे अभी कर लेना चाहिए। इसका सीधा सा अर्थ ये है कि किसी भी काम को करने में देर नहीं करना चाहिए। ये बात सभी कामों के लिए सही नहीं है। स्त्री और पुरुष, दोनों के लिए कुछ काम ऐसे भी हैं, जिनमें देर करना अच्छी बात है।

    🔵 महाभारत के एक श्लोक में बताया है कि हमें किन कामों को टालने की कोशिश करनी चाहिए…

    रागे दर्पे च माने च द्रोहे पापे च कर्मणि।
    अप्रिये चैव कर्तव्ये चिरकारी प्रशस्यते।।

    ये श्लोक महाभारत के शांति पर्व में दिया गया है। इसमें 5 काम ऐसे बताए गए हैं, जिनमें देर करने पर हम कई परेशानियों से बच सकते हैं।

    🔴 1 पहला काम है राग
    इन पांच कामों में पहला काम है राग यानी अत्यधिक मोह, अत्यधिक जोश, अत्यधिक वासना। राग एक बुराई है। इससे बचना चाहिए। जब भी मन में राग भाव जागे तो कुछ समय के लिए शांत हो जाना चाहिए। अधिक जोश में किया गया काम बिगड़ भी सकता है। वासना को काबू न किया जाए तो इसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं। किसी के प्रति मोह बढ़ाने में भी कुछ समय रुक जाना चाहिए। राग भाव जागने पर कुछ देर रुकेंगे तो ये विचार शांत हो सकते हैं और हम बुराई से बच जाएंगे।

    🔵 2 दूसरा काम है घमंड
    दर्प यानी घमंड ऐसी बुराई है जो व्यक्ति को बर्बाद कर सकती है। घमंड के कारण ही रावण और दुर्योधन का अंत हुआ था। घमंड का भाव मन में आते ही एकदम प्रदर्शित नहीं करना चाहिए। कुछ देर रुक जाएं। ऐसा करने पर हो सकता है कि आपके मन से घमंड का भाव ही खत्म हो जाए और आप इस बुराई से बच जाएं।

    🔴 3 तीसरा काम है लड़ाई करना
    यदि कोई ताकतवर इंसान किसी कमजोर से भी लड़ाई करेगा तो कुछ नुकसान तो ताकतवर को भी होता है। लड़ाई करने से पहले थोड़ी देर रुक जाना चाहिए। ऐसा करने पर भविष्य में होने वाली कई परेशानियों से हम बच सकते हैं। आपसी रिश्तों में वाद-विवाद होते रहते हैं, लेकिन झगड़े की स्थिति आ जाए तो कुछ देर शांत हो जाना चाहिए। झगड़ा भी शांत हो जाएगा।

    🔵 4 चौथा काम है पाप करना
    यदि मन में कोई गलत काम यानी पाप करने के लिए विचार बन रहे हैं तो ये परेशानी की बात है। गलत काम जैसे चोरी करना, स्त्रियों का अपमान करना, धर्म के विरुद्ध काम करना आदि। ये काम करने से पहले थोड़ी देर रुक जाएंगे तो मन से गलत काम करने के विचार खत्म हो सकते हैं। पाप कर्म से व्यक्ति का सुख और पुण्य नष्ट हो जाता है।

    🔴 5 पांचवां काम है दूसरों को नुकसान पहुंचाना
    यदि हम किसी का नुकसान करने की योजना बना रहे हैं तो इस योजना पर काम करने से पहले कुछ देर रुक जाना चाहिए। इस काम में जितनी देर करेंगे, उतना अच्छा रहेगा। किसी को नुकसान पहुंचाना अधर्म है और इससे बचना चाहिए। पुरानी कहावत है जो लोग दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं, एक दिन वे ही उस गड्ढे में गिरते हैं। इसीलिए दूसरों का अहित करने से पहले कुछ देर रुक जाना चाहिए।

    👉 आत्मचिंतन के क्षण Aatmchintan Ke Kshan 4 Oct 2016

    🔴 एकाग्रता सिद्ध करने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि अपने मन को संसार की ऐसी बातों से दूर रखा जाए जिनसे बेकार की उलझनें और समस्याएँ पैदा हों। उसे केवल ऐसी बातों और विचारों तक ही सीमित रखा जाए जिनसे अपने निश्चित लक्ष्य का सीधा संबंध हो। प्रायः लोगों का स्वभाव होता है कि वे घर, परिवार, मुहल्ले, समाज, देश, राष्ट्र आदि की उन बातों में अपने को व्यस्त बनाए रखते हैं जिनसे उनके मुख्य प्रयोजन का कोई सरोकार नहीं होता। इस स्वभाव का जन्म निरर्थक उत्सुकता द्वारा ही होता है।

    🔵 प्रेम की उपलब्धि परमात्मा की उपलब्धि मानी गई है। प्रेम परमात्मा का भावनात्मक स्वरूप है  जिसे अपने अंतर में सहज ही अनुभव किया जा सकता है। प्रेम प्राप्ति परमात्मा प्राप्ति का सबसे सरल मार्ग है। परमात्मा को पाने के अन्य सभी साधन कठिन, दुःसाध्य तथा दुरूह हैं। एक मात्र प्रेम ही ऐसा साधन है जिसमें  कठोरता अथवा दुःसाध्यता के स्थान पर सरसता, सरलता और सुख का समावेश होता है।

    🔴 अपने आपको सुधारने का प्रयत्न करना, अपने दृष्टिकोण में गहराई तक समाई हुई भ्रान्तियों का निराकरण करना मानव जीवन का सबसे बड़ा पुरुषार्थ है। हमें यह  न केवल करना ही चाहिए, वरन् सबसे पहले अधिक इसी पर ध्यान देना चाहिए। अपना सुधार करके न केवल हम अपनी सुख-शान्ति को चिरस्थायी बनाते हैं, वरन् एक प्रकाश स्तम्भ बनकर दूसरों के लिए भी अनुकरणीय उदाहरण उपस्थित करते हैं।

    🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य